मेरे स्नेही जन

Friday, October 19, 2012

लोमडी़ की सगाई

लोमडी़ की सगाई

जंगल में था शोर बड़ा
सारा जंगल सजा हुआ

  लोमड़ी की है ,आज सगाई
 गीदड़ ने ये बात बताई

  हाथी जाकर बाजा़ लाया
छमछम भालू नाचते आया



मिलकर सब ने गाई बधाई
लोमड़ी मन ही मन शर्माई


बंदर सब की थाल सजाता
एक-एक लड्डू खाता जाता

   हाथी बोला, अब लाओ खाना
  होगया बस,गाना बजाना

 
पेट में चूहे दौड़ रहे हैं
  ला भई- ला भई बोल रहे हैं

 अब खाने की जब बारी आई
लड्डू का न पता था भाई


 सब ने मिलकर शोर मचाया
 बंदर को तब मार भगाया


*********
महेश्वरी कनेरी






12 comments:

  1. बहुत ही प्यारी कविता


    सादर

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  2. बहुत सुंदर पोस्ट बना है दीदी .... !!

    मज़ा आगया :))

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  3. अरे दी.......छोटी बन गयी हूँ (फिल छे...)
    :-)

    सादर
    अनु

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  4. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (20-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ! नमस्ते जी!

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    Replies
    1. धन्यवाद .शास्त्री जी...

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  5. बहुत सुंदर बाल रचना
    बहुत बढिया

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  6. प्यारी कविता...

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  7. कितनी Cute कविता है !:)) मन फिर वापस बचपन के स्वर्ग में पहुँच गया !:)
    ~सादर !!!

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  8. बहुत मजेदार बाल गीत...

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  9. चित्र और कविता दोनों सुंदर!!
    नया ब्लॉग आज ही देखा|
    शुभकामनाएँ!!

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