अगर मुझे मिल जाता
बैठ कंधे पर जिन्न के
सारी दुनिया घूम के आता
अलमस्त पक्षी सा कभी
आसमान में उड़ जाता
तारों से बातें करता कभी
चंदा से हाथ मिलाता
लुका छिपी खेल-खेल में
बादलों में छिप जाता
कितना भी ढ़ूँढ़ती मुझे
मैं हाथ कभी न आता
चंदा मामा के घर जाता
बूढ़ी नानी से मिल आता
कितना मजा आता ,माँ
जो चाहूँ वो मिल जाता
“हुकुम मेरे आका”, कह वो
पलक झपकते ही आजाता
सारी दुनिया की खुशियों से
झोली मेरी भर जाता
अलादीन का चिराग,माँ
अगर मुझे मिल जाता
बैठ कंधे पर जिन्न के
सारी दुनिया घूम के आता
****************
महेश्वरी कनेरी
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,अभार।
ReplyDeleteबहुत ही प्यारा बाल गीत...
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी रचना..
ReplyDelete:-)
आपकी पोस्ट को आज की बुलेटिन अंतर्राष्ट्रीय जल सहयोग वर्ष .... ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ...आभार।
ReplyDeleteआभार आप का ..
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (07-07-2013) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/“ मँहगाई की बीन पे , नाच रहे हैं साँप” (चर्चा मंच-अंकः1299) <a href=" पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मैं भी कितना भुलक्कड़ हो गया हूँ। नहीं जानता, काम का बोझ है या उम्र का दबाव!
ReplyDelete--
पूर्व के कमेंट में सुधार!
आपकी इस पोस्ट का लिंक आज रविवार (7-7-2013) को चर्चा मंच पर है।
सूचनार्थ...!
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आभार शास्त्री जी..
Deleteरोचक बाल कविता
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत बधाई आपको .
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता , काश मुझे भी मिलता ऐसा कोई चिराग
ReplyDeletebachchon ke blog ko dekha, bahut achchha laga. sunder bachchon ki photograph aur kavita ki rangat khoob pyari hai. may god bless our children.
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति।।
ReplyDelete:) Pyari Kavita
ReplyDeleteakdam mast .....
ReplyDeleteबाल मन को अभिव्यक्त करती सुंदर कविता, बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बच्चों की सुंदर कविता
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