मेरे स्नेही जन

Sunday, June 2, 2013

काले –काले बादल आ


काले काले बादल आ

छम-छम  पानी बरसा

प्यासी धरती तुम्हें पुकारे

मोर पपीहा तुम्हें निहारे

रिमझिम का गीत सुना

काले काले बादल आ

मेरा भैया रोता है

गर्मी में नहीं सोता है

ठंडी हवा का झोंका ला

काले काले बादल आ

कागज़ की हम नाव बनाएं

पानी में उसे चलाएं

वर्षा से आँगन भर जा

काले काले बादल आ

छम-छम पानी बरसा

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महेश्वरी कनेरी