आओ बच्चों आज मैं तुम्ह्रें बकरी के बच्चे की एक कहानी सुनाती हूँ जिसने मुसिबत में हिम्मत से काम लिया बिल्कुल नही घबराया.. ….तो चलो सुनते है ये कहानी.. आप को पता है ? इसे मेरे स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों ने गाया था । आज वे सब बहुत बड़े होगये होंगे..उनकी इस मासूम आवाज को मैंने सहेज कर रखा है..
तो सुना कैसी लगी …?बच्चों हमें हमेशा दो बातो का ध्यान रखना चाहिए ..
१--- मुसीबत आने पर घबराना नहीं ,विवेक और सूझ बूझसे काम लेना चाहिए ।
२- - अपने से बडो़ का कहा मानना चाहिए..
महेश्वरी कनेरी
बहुत ही प्रेरक कहानी है सभी बच्चों के लिये।
ReplyDeleteसादर
बच्चों के लिए प्यारी सी सीख...बच्चों की आवाज कहाँ सुननी है...कोई लिंक नहीं है|
ReplyDeleteलिंक दिख गई अभी...सुनती हूँ:)
ReplyDeleteवाह! बढिया।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteबेजोड़ .... लाजबाब .... !!
ReplyDeleteमैं तो निशब्द हूँ :))
सादर !!
ReplyDeleteदिनांक 17/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
Thanks Yashvant ..
Deleteवाह बहुत बढिया
ReplyDeleteKailash Sharma has left a new comment on post "भेड़िया और बकरी का बच्चा ( गीतात्कम कहानी)":
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और प्रेरक...लाज़वाब स्वर और संगीत...
गीतात्मक कहानी बहुत अच्छी लगी ...आपके स्वर भी बड़े मधुर हैं, संगीत तो ... माशाल्लाह, कहानी सुनकर एक बार को तो मैं मेरे बच्चपन की यात्रा कर आया।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार (21-12-2012) के चर्चा मंच-१०८८ (कल हो न हो..) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
बहुत प्यारी कहानी.....
ReplyDeleteसुनते सुनते फिर बच्चा बन जाना कितना सुखद है.....
सादर
अनु
बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteबहुत सुंदर पोस्ट
ReplyDeletewaah! bahut accha lgaa sunkar.
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत ....तबले की संगत और बच्चों के द्वारा गीत में भाग लेना इसे और भी रोचक बना रहा है ...ऐसा जान पड़ता है कि बच्चों ने भी गीत के लिए सुरों पर खूब मेहनत की है ...बहुत सुंदर संगीतमयी प्रस्तुति ....
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी एक नज़र डालें ...आपका स्वागत है
http://shikhagupta83.blogspot.in/
बहुत अच्छा। बाल साहित्य के क्षेत्र में किया गया हर प्रयास स्वागतेय है। परन्तुबाल साहित्य उपदेशों की बोझ से दब न जाए। इसका सदैव ध्यान रखना चाहिए।
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