मेरे स्नेही जन

Saturday, July 6, 2013

अलादीन का चिराग


अलादीन का चिराग,माँ

अगर मुझे मिल जाता

बैठ कंधे पर जिन्न के

सारी दुनिया घूम के आता


अलमस्त पक्षी सा कभी

आसमान में उड़ जाता

तारों से बातें करता कभी

चंदा से हाथ मिलाता


लुका छिपी खेल-खेल में

बादलों में छिप जाता

कितना भी ढ़ूँढ़ती मुझे

मैं हाथ कभी न आता


चंदा मामा के घर जाता

बूढ़ी नानी से मिल आता

कितना मजा आता ,माँ

जो चाहूँ वो मिल जाता


“हुकुम मेरे आका”, कह वो

पलक झपकते ही आजाता

सारी दुनिया की खुशियों से

झोली मेरी भर जाता


अलादीन का चिराग,माँ

अगर मुझे मिल जाता

बैठ कंधे पर जिन्न के

सारी दुनिया घूम के आता



****************


महेश्वरी कनेरी

17 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,अभार।

    ReplyDelete
  2. बहुत ही प्यारा बाल गीत...

    ReplyDelete
  3. बहुत ही प्यारी रचना..
    :-)

    ReplyDelete
  4. आपकी पोस्ट को आज की बुलेटिन अंतर्राष्ट्रीय जल सहयोग वर्ष .... ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ...आभार।

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (07-07-2013) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/“ मँहगाई की बीन पे , नाच रहे हैं साँप” (चर्चा मंच-अंकः1299) <a href=" पर भी होगी!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  6. मैं भी कितना भुलक्कड़ हो गया हूँ। नहीं जानता, काम का बोझ है या उम्र का दबाव!
    --
    पूर्व के कमेंट में सुधार!
    आपकी इस पोस्ट का लिंक आज रविवार (7-7-2013) को चर्चा मंच पर है।
    सूचनार्थ...!
    --

    ReplyDelete
  7. सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत बधाई आपको .

    ReplyDelete
  8. बहुत सुंदर कविता , काश मुझे भी मिलता ऐसा कोई चिराग

    ReplyDelete
  9. bachchon ke blog ko dekha, bahut achchha laga. sunder bachchon ki photograph aur kavita ki rangat khoob pyari hai. may god bless our children.

    ReplyDelete
  10. सुंदर प्रस्तुति।।

    ReplyDelete
  11. बाल मन को अभिव्यक्त करती सुंदर कविता, बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  12. बच्चों की सुंदर कविता

    ReplyDelete