मेरे स्नेही जन

Sunday, June 2, 2013

काले –काले बादल आ


काले काले बादल आ

छम-छम  पानी बरसा

प्यासी धरती तुम्हें पुकारे

मोर पपीहा तुम्हें निहारे

रिमझिम का गीत सुना

काले काले बादल आ

मेरा भैया रोता है

गर्मी में नहीं सोता है

ठंडी हवा का झोंका ला

काले काले बादल आ

कागज़ की हम नाव बनाएं

पानी में उसे चलाएं

वर्षा से आँगन भर जा

काले काले बादल आ

छम-छम पानी बरसा

****************


महेश्वरी कनेरी 

9 comments:

  1. बढिया बाल कविता
    बहुत सुंदर

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  2. एक मुट्ठी सरसों
    पीट-पीट बरसो
    आपकी रचना
    मुझे भी बचपन में
    ले गई दीदी
    सादर

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  3. बहुत ही सुन्दर बाल रचना..
    :-)

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  4. वर्षा से आँगन भर जा

    काले –काले बादल आ

    छम-छम पानी बरसा.....jaroor aayega geet hai hi itna sundar ....

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  5. बहुत प्यारा बाल गीत...

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  6. प्यासी धरती तुम्हें पुकारे

    मोर पपीहा तुम्हें निहारे

    रिमझिम का गीत सुना

    काले –काले बादल आ

    सुंदर ..मधुर आवाहन ! बधाई आपको !

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  7. बहुत प्यारी कविता

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  8. bahut hi manohar ,dil ko choo gai aapki kavita---
    poonam

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