मेरे स्नेही जन

Tuesday, January 29, 2013

हम बच्चें


हम बच्चें
हम छोटे –छॊटे बच्चें हैं
अक्ल के नहीं हम कच्चे हैं
कदम हमारे छोटे है पर
हिम्मत के हम पक्के हैं
बात पते की करते हम है
सच्ची बातें हम करते
आसमां को छूने की भी
 हिम्मत हम भी रखते हैं
झूठ से नफरत है हमको
लालच कभी न करते
जितनी भी मिल जाती हमको
खुशी खुशी ले लेते
आँधी आए या तूफान
हम नहीं डरा करते हैं
काले काले बादल में भी
इन्द्रधनुष रचा करते हैं
हम छोटे –छोटे बच्चें हैं
अक्ल के हम नहीं कच्चे हैं
कदम हमारे छोटे है पर
हिम्मत के हम पकके हैं
*****************
महेश्वरी कनेरी

13 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर बालकविता...
    :-)

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  2. हम हमेशा बच्चे ही रहते तो कितना अच्छा होता .........
    उस समय ना तो T.V. था और ना फेस बुक और ना इतनी कठिन जिन्दगी .....

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  3. बहुत ही बढ़िया आंटी !


    सादर

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  4. मन के सच्चे बच्चे...
    अक्ल के नहीं ये कच्चे...
    जैसे जैसे बड़े होते जाते हैं अक्ल जाने कहाँ चली जाती है...
    :-)

    सादर
    अनु

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  5. बच्चे इसीलिए तो सच्चे होते हैं ,,,
    सुन्दर सी बाल कविता ..
    सादर !

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  6. बहुत सुन्दर बाल कविता .....

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  7. काले काले बादल में भी
    इन्द्रधनुष रचा करते हैं

    बहुत सुंदर बाल गीत ....!!

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  8. ये पहला ब्लॉग नजर में आया है जो बच्चों के लिए बनाया गया है .....बहुत अच्छा लगा ...बहुत सारी शुभ-कामनायें
    आप जैसे गुणी-जनों का आशीर्वाद भी पाना चाहती हूँ। मैं अपने ब्लॉग का पता छोड़ रही हूँ ....समय निकाल कर अवश्य देखें .....मुझे join करेगीं तो मेरा हौसला चौगुना हो जाएगा
    मेरी यह रचना शायद आपको पसंद आये ...
    तुम्हारी आवाज़

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  9. वाह! बच्चों की मनभावन बाल कविता .. और तस्वीर देखकर मन बहुत प्रसन्न हुआ ...आभार..

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  10. sahi bat hm bacche hain pr dil ke bde sacche hain...

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  11. बहुत सुंदर.आभार..

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  12. कल 14/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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