भीगा
वर्षा में जब राजू
आकर
माँ से बोला
माँ ! एक बात बतलाओ
क्या
है राज मुझे समझाओ
उमड़
घुमड़ कर बादल आते
झम-झम पानी वे बरसाते
कहाँ
से आते बादल, माँ
!
कहाँ
जा छिप जाते ?
वर्षा
से आँगन भर जाता
इतना
पानी कहाँ से आता
क्या
है राज मुझे समझाओ
क्या
है बात मुझे बतलाओ
माँ
ने बेटे को बतलाया
राज बादल
का उसे समझाया
सूरज
जब गरमी फैलाता
नदी
,सागर का पानी
तब भाप बन
उड़ जाते
और नभ
पर जा छा जाते
असंख्य
जल बूँद लिए वे
इधर
उधर मड़राते
यही
तो बादल कहलाते
उमड़
घुमड़ कर जब वो चलते
जा
पर्वत से टकराते
तब
बनकर वर्षा वे
वापस
धरती पर आजाते
इसी
तरह धरती का पानी
वापस
धरती पर आजाता
रिम-झिम गीत सुनाकर
जग
में खुशहाली भर जाता
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महेश्वरी
कनेरी
बहुत ही सुंदर बाल कविता
ReplyDeleteवाह बेहतरीन
ReplyDeleteशुभप्रभात दीदी
ReplyDeleteसरल-सहज भाषा में विज्ञान समझा दीं
सादर !!
बहुत सुंदर रचना .... सहजता से समझा दिया वाष्पीकरण को
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर बालकविता,आभार.
ReplyDeletebahut hi sundar aur sahaj hai bachho ki ye kavita , bahut pasand aayi
ReplyDeleteSundar...
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या बात है
बहुत सुंदर बाल कविता...
ReplyDeletePyari Kavita
ReplyDeleteभावमय करते शब्दों का संगम....
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